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When the Celebrate New Year Festival in Indian Culture & Civilization (भारतीय संस्कृति के अनुसार नववर्ष कब मनाते है )

                                       
   नववर्ष क्यों मनाते है 

 




  • प्रकृति द्वारा दी गयी व्यवस्था के अनुसार जलवायु परिवर्तन का ऐसा समये जिस दिन हमारी जलवायु एक नया रूप लेती है उस जलवायु परिवर्तन के वातावरण में रहने वाले प्रत्येक जिव -जंतु , पेड़ -पौधे , पशु -पक्षी  को एक नया रूप प्रदान होता है | सभी को एक नयी ऊर्जा मिलती है उस समये वातावरण बिलकुल संतुलित होता है | पेड़ -पौधों में नये फूल और पत्तिया लगती है पक्षी खुले आसमान में विचरण करते है सभी प्राणियों में एक खुसी का एहसास होता है जिसे हम एक नयी ऊर्जा कहते है | 
  • ऐसी मनमोहक जलवायु के आगमन को हम एक त्यौहार की तरह मनाते है जिसे एक नये वर्ष के आगमन का नाम देते है हर त्यौहार को मनाने का एक कारण होता है जिसे हम प्रत्येक वर्ष मनाते है और एस नववर्ष त्यौहार को मनाने का यही कारण है | की एक मनमोहक मौसम का आगमन जिससे प्रकृति का कण -कण प्रफुल्लित होता है 
  • विश्व के प्रत्येक भागो में अपनी एक अलग संस्कृति होती है वहा की संस्कृति वहा की जलवायु के अनुसार होती है अर्थात उनकी अपनी संस्कृति व जलवायु के अनुसार वहा के त्यौहार मनाये जाते है तो चलिए हम कुछ देशो के बारे में आपको बताते है की वो नववर्ष कब क्यों  मनाते है 


  • दुनियाभर में नए वर्ष का जश्न लोग अपने -अपने ढंग से मनाते है लेकिन ये जानने से पहले की यह्कहा -कहा व कैसे मनाया जाता है ,आओ  जानते है की इन देशो में नव वर्ष मनाने की शुरुवात कब और कैसे हुई और इनके सम्बन्ध में कौन - सी बाते प्रचलित है |

पश्चमी देशो में नववर्ष मनाये जाने का कारण-:

  • ऐसा माना जाता है की यहाँ नया साल  आज से लगभग 4000 वर्ष पहले बेबीलोन नामक स्थान पर मनाया गया था | 1 जनवरी को मनाया  जाने वाला नया वर्ष दरअशल  , ग्रागोरियन calendar पर आधारित है इसकी सुरुवात रोमन calendar से हुई है |
  • इस पारंपरिक रोमन calendar का नया वर्ष 1 मार्च से सुरु होता है लेकिन रोमन के प्रसिद्द सम्राट जूलियस  सीजर ने 46 वर्ष ईसा पूर्व में इस calendar में परिवर्तन किया गया था तब से लेकर आज तक नया साल 1 जनवरी को मनाते है 


भारत में नववर्ष कब और क्यों मनाते है -:

  • भारत में वसंत ऋतु से नववर्ष की सुरुवात होती है वसंत ऋतु चैत्र और वैशाख माह अर्थात ग्रागोरियन calendar के अनुसार मार्च -अप्रैल में मनाया जाता है 
  • भारतीय जलवायु के अनुसार वसंत ऋतु के आगमन पर मौसम में एक परिवर्तन होता है  ऐसा समये जिस दिन हमारी जलवायु एक नया रूप लेती है उस जलवायु परिवर्तन के वातावरण में रहने वाले प्रत्येक जिव -जंतु , पेड़ -पौधे , पशु -पक्षी  को एक नया रूप प्रदान होता है | सभी को एक नयी ऊर्जा मिलती है उस समये वातावरण बिलकुल संतुलित होता है | पेड़ -पौधों में नये फूल और पत्तिया लगती है पक्षी खुले आसमान में विचरण करते है सभी प्राणियों में एक खुसी का एहसास होता है जिसे हम एक नयी ऊर्जा कहते है | 
  • ऐसी मनमोहक जलवायु के आगमन को हम एक त्यौहार की तरह मनाते है जिसे एक नये वर्ष के आगमन का नाम देते है हर त्यौहार को मनाने का एक कारण होता है जिसे हम प्रत्येक वर्ष मनाते है और एस नववर्ष त्यौहार को मनाने का यही कारण है | की एक मनमोहक मौसम का आगमन जिससे प्रकृति का कण -कण प्रफुल्लित होता है 
  • इसलिए भारतीय संस्कृति और भारतीय हिंदी calendar के अनुसार नववर्ष का त्यौहार चैत्र मॉस में प्रारम्भ होता है 
  • इसलिए हमें पश्चमी सभ्यता के ग्रागोरियन calendar के अनुसार 1 जनवरी को नववर्ष मानाने की मूर्खता नही करनी चाहिए ये उनकी व्यवस्था के अनुसार की तिथि है 
  • अगर हम उनकी व्यवस्था के अनुसार हम नववर्ष मनाते है तो हम मानसिक रूप से गुलाम है क्युकी दूसरे की व्यवस्था पर जीने वाला इंसान एक गुलाम होता है ये उनकी व्यवस्था है उनकी जलवायु के अनुसार जो हमारी जलवायु बिलकुल भी शूट नही करेगी इसलिए हमें 1 जनवरी को नववर्ष मनाने की मूर्खता नही करनी चाहिए हमारा नववर्ष तो चैत्र मॉस में प्रारंभ होता है 
  • ये प्रकृति की व्यवस्था है जो  भिन्न - भिन्न जगहों के लिए भिन्न -भिन्न है 


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